ट्रम्प ने व्यापार वार्ता की डेडलाइन बढ़ाई, भारत के साथ 'मिनी डील' की उम्मीद?
अमेरिका ने 12 देशों के साथ व्यापार वार्ता की समय सीमा 1 अगस्त तक बढ़ाई। जानिए क्या भारत के साथ होगा छोटा व्यापार समझौता और इसके निहितार्थ।

ट्रंप प्रशासन ने 12 देशों के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं की समय सीमा 1 अगस्त तक बढ़ा दी है। इस कदम से भारत के साथ 'मिनी ट्रेड डील' की संभावना बढ़ गई है, जो द्विपक्षीय व्यापार तनावों को कम कर सकती है।
डेडलाइन विस्तार का महत्व
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) ने गुरुवार को एक बयान जारी करते हुए 12 देशों के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं की समय सीमा में विस्तार की घोषणा की। हालांकि इन देशों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए, लेकिन सूत्रों के अनुसार भारत, ब्राजील और दक्षिण कोरिया जैसे देश इस सूची में शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विस्तार विशेष रूप से भारत के साथ चल रही जटिल वार्ताओं को ध्यान में रखकर किया गया है, जहां दोनों देश कई मुद्दों पर सहमति बनाने के करीब हैं।
वॉशिंगटन स्थित व्यापार विश्लेषक डॉ. राहुल कपूर बताते हैं: "यह विस्तार दर्शाता है कि अमेरिका कुछ प्रमुख भागीदारों के साथ समझौते पर पहुँचने के प्रति गंभीर है। भारत के साथ वार्ता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देश चिकित्सा उपकरणों, कृषि उत्पादों और डिजिटल कर जैसे मुद्दों पर समझौते के करीब पहुँच गए हैं।"
भारत-अमेरिका 'मिनी डील' की संभावना
संभावित समझौते के प्रमुख बिंदु
- चिकित्सा उपकरण मूल्य निर्धारण: भारत द्वारा स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण जैसे उपकरणों पर मूल्य सीमा में ढील
- कृषि उत्पाद: अमेरिकी बादाम, सेब और अखरोट के भारतीय बाजार में प्रवेश की सुविधा
- डिजिटल सेवा कर: भारत द्वारा अमेरिकी टेक कंपनियों पर लगाए गए कर में समायोजन
- साझा बौद्धिक संपदा: दवा पेटेंट और कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम एक सीमित दायरे वाले समझौते पर काम कर रहे हैं जो द्विपक्षीय व्यापार को गति देगा। इससे भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अधिक पहुँच मिलेगी, विशेषकर वस्त्र और हस्तशिल्प क्षेत्र में।"
व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि
ट्रम्प प्रशासन ने पिछले वर्ष भारत सहित कई देशों पर "असंतुलित व्यापार प्रथाओं" का आरोप लगाते हुए स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था। जवाब में भारत ने 28 अमेरिकी उत्पादों पर कर बढ़ा दिए, जिसमें सेब, बादाम और वालनट शामिल थे।
इस व्यापार तनाव के कारण द्विपक्षीय व्यापार में 12% की कमी आई है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत-अमेरिका व्यापार 158 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21 अरब डॉलर कम है।
राजनीतिक निहितार्थ
नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए यह समझौता ट्रम्प प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण है। व्यापार घाटे में कमी और अमेरिकी किसानों को निर्यात के नए अवसर प्रदान करना ट्रम्प के प्रमुख चुनावी वादे रहे हैं।
भारत की ओर से, यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के अनुरूप होगा, जो निर्यात को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस समझौते से भारत को वार्षिक 2-3 अरब डॉलर के निर्यात लाभ की उम्मीद है।
आगे की राह
1 अगस्त की नई समय सीमा दोनों देशों के लिए अंतिम अवसर प्रस्तुत करती है। यदि भारत और अमेरिका इस अवधि के भीतर समझौते पर हस्ताक्षर करने में सफल होते हैं, तो यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता का संकेत होगा।
हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि किसी भी समझौते में भारत के रणनीतिक हितों और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा। दोनों देशों के वार्ताकार अगले दो सप्ताह में तीव्र गति से वार्ता जारी रखेंगे।