यमुना जलस्तर दिल्ली पर बड़ा खतरा: हथिनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा, जानिए ताज़ा अपडेट

यमुना जलस्तर दिल्ली के लिए चिंता का विषय बन गया है। हथिनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी दिल्ली की ओर छोड़ा गया है। जानें दिल्ली पर इसका क्या असर होगा और क्यों है यह बड़ा खतरा।

Sep 2, 2025 - 17:53
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यमुना जलस्तर दिल्ली पर बड़ा खतरा: हथिनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा, जानिए ताज़ा अपडेट
यमुना जलस्तर दिल्ली, हथिनीकुंड बैराज से पानी

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat Date: | 02 Sep 2025

हिमाचल में हो रही लगातार बारिश ने दिल्ली-एनसीआर के लिए चिंता बढ़ा दी है। हथिनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ा गया है, जो अगले कुछ घंटों में दिल्ली पहुंच जाएगा। इससे राजधानी में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। जानिए क्या है पूरी स्थिति और दिल्ली पर इसका क्या असर हो सकता है।

हिमाचल प्रदेश के कैचमेंट एरिया में जारी मूसलाधार बारिश ने अब मैदानी इलाकों, विशेषकर हथिनीकुंड बैराज और यमुना नदी के जलस्तर पर गंभीर असर दिखाना शुरू कर दिया है। इस समय यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज के सभी 18 गेट पूरी तरह से खोल दिए गए हैं, जिससे लाखों क्यूसेक पानी बिना किसी रुकावट के सीधे दिल्ली की ओर प्रवाहित हो रहा है। बीते 48 से 50 घंटों की अवधि में, अकेले 3,38,000 क्यूसेक पानी दिल्ली की तरफ डायवर्ट किया गया है, जिसके अगले 50 से 60 घंटों के भीतर राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने का अनुमान है। यह स्थिति दिल्ली के लिए एक बड़ी चेतावनी है, क्योंकि हिमाचल के ऊपरी इलाकों में बारिश का सिलसिला अभी थमा नहीं है और जलस्तर में और वृद्धि की आशंका बनी हुई है। इस गंभीर स्थिति के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी यमुना नहर के सभी सहायक गेटों को बंद कर दिया गया है, ताकि यमुना नदी में अधिकतम जलप्रवाह सुनिश्चित किया जा सके। वर्ष 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान जब यमुना नदी में अधिकतम 9,95,000 क्यूसेक पानी दर्ज किया गया था, तब इसने अभूतपूर्व तबाही मचाई थी। हालांकि, मौजूदा 3,38,000 क्यूसेक पानी ने भी यमुना नदी से सटे दर्जनों गांवों में व्यापक नुकसान पहुंचाया है, जहां घरों और खेतों में 4 से 5 फीट तक पानी घुस गया है, जिससे फसलें पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं और कई ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है। इसके अतिरिक्त, यमुना नदी से सटी वन भूमि में भी तेजी से कटाव शुरू हो गया है, जिससे पर्यावरणीय क्षति भी हो रही है।

जैसे-जैसे यह लाखों क्यूसेक पानी दिल्ली की ओर बढ़ रहा है, राजधानी में इसकी तबाही की आशंका बढ़ती जा रही है। यह देखना होगा कि यमुना जलस्तर दिल्ली में पहुंचने के बाद कितनी अधिक परेशानी और शोर मचाएगा, खासकर तब जब ऊपरी इलाकों में बारिश लगातार जारी रहने का अनुमान है। विशेषज्ञों और मौसम विभाग की मानें तो, यदि बारिश का यह दौर जारी रहा तो यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को आसानी से पार कर सकता है, जिससे दिल्ली के निचले और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में गंभीर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और अन्य संबंधित विभागों को पहले से ही सचेत रहने और पर्याप्त कदम उठाने की आवश्यकता है। दिल्ली के नागरिकों को भी लगातार अपडेट्स पर नज़र रखने, आवश्यक एहतियाती कदम उठाने और किसी भी जोखिम वाले क्षेत्र से दूर रहने की सलाह दी गई है। यह सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि एक जटिल चुनौती है जिसके लिए सुनियोजित प्रतिक्रिया और अंतर-एजेंसी सहयोग की आवश्यकता होगी ताकि जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके और यमुना जलस्तर दिल्ली के लिए उत्पन्न इस खतरे का सामना किया जा सके।

यमुना जलस्तर दिल्ली: हथिनीकुंड बैराज से पानी क्यों छोड़ा गया?

हिमाचल प्रदेश के कैचमेंट एरिया में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण मैदानी इलाकों में जलस्तर बढ़ गया है। इसी वजह से हथिनीकुंड बैराज में जल का दबाव कम करने और यमुना नदी के प्राकृतिक बहाव को बनाए रखने के लिए सभी गेट खोल दिए गए हैं, जिससे यह पानी दिल्ली की ओर बढ़ रहा है।

कितनी मात्रा में पानी दिल्ली की ओर बढ़ रहा है?

बीते 48 से 50 घंटों के भीतर लाखों क्यूसेक पानी दिल्ली की तरफ डायवर्ट किया गया है। इसमें से कल 3,38,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो अगले 50 से 60 घंटों में दिल्ली पहुंचेगा। ऊपरी इलाकों में लगातार बारिश के कारण यह जलस्तर और बढ़ने की आशंका है।

दिल्ली पहुंचने में कितना समय लगेगा?

हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 3,38,000 क्यूसेक पानी अगले 50 से 60 घंटों के भीतर दिल्ली में प्रवेश कर जाएगा। इस समय के दौरान दिल्ली के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाएगा।

2013 की तबाही और मौजूदा स्थिति की तुलना

साल 2013 में केदारनाथ में बादल फटने के दौरान यमुना में 9,95,000 क्यूसेक पानी आया था, जिसने भारी तबाही मचाई थी। मौजूदा स्थिति में 3,38,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो 2013 के स्तर से कम है, लेकिन इसने भी यमुना से सटे गांवों में काफी नुकसान पहुंचाया है।

यमुना के किनारे बसे गांवों पर क्या असर पड़ा?

यमुना नदी से सटे कई गांवों में 4 से 5 फीट तक पानी घुस गया है, जिससे फसलें जलमग्न हो गई हैं। ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है, और यमुना से सटी जंगल की जमीनों में भी कटाव शुरू हो गया है।

आगे क्या हो सकता है: दिल्ली के लिए चेतावनी

हिमाचल के ऊपरी इलाकों में लगातार बारिश होने की वजह से यमुना का जलस्तर और बढ़ने की आशंका है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो दिल्ली में यह पानी भारी तबाही मचा सकता है, खासकर यमुना से सटे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा।


FAQs

Q1: यमुना जलस्तर दिल्ली में क्यों बढ़ रहा है? A1: हिमाचल के कैचमेंट एरिया में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण हथिनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ा गया है। यही पानी दिल्ली की ओर बढ़ रहा है, जिससे यमुना जलस्तर दिल्ली में बढ़ने की आशंका है।

Q2: हथिनीकुंड बैराज से कितना पानी छोड़ा गया है? A2: बीते 48 से 50 घंटों में लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसमें से कल 3,38,000 क्यूसेक पानी दिल्ली की ओर डायवर्ट किया गया था, जो अगले 50 से 60 घंटों में दिल्ली पहुंचेगा। यह यमुना जलस्तर दिल्ली के लिए चिंता का विषय है।

Q3: दिल्ली में यह पानी कब तक पहुंचेगा? A3: हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 3,38,000 क्यूसेक पानी अगले 50 से 60 घंटों के भीतर दिल्ली में प्रवेश कर जाएगा। इस दौरान यमुना जलस्तर दिल्ली में तेजी से वृद्धि देखने को मिल सकती है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा।

Q4: क्या यमुना के किनारे के गांवों पर कोई असर पड़ा है? A4: हाँ, 3,38,000 क्यूसेक पानी ने भी यमुना से सटे गांवों में तबाही मचाई है। कई गांवों में 4 से 5 फीट तक पानी घुस गया है, फसलें जलमग्न हो गई हैं और ग्रामीणों को पलायन करना पड़ा है। यमुना जलस्तर दिल्ली के गांवों के लिए भी खतरा है।

Q5: दिल्ली में बाढ़ के खतरे को लेकर क्या चेतावनी है? A5: हिमाचल में लगातार बारिश के कारण यमुना का जलस्तर और बढ़ने की आशंका है। इससे दिल्ली में भारी तबाही मच सकती है, खासकर निचले इलाकों में। यमुना जलस्तर दिल्ली के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है और प्रशासन सतर्कता बरत रहा है।

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