UPI 2025 के नए नियम: पेमेंट स्पीड लिमिट, बैलेंस चेक और ऑटोपे में बदलाव
UPI 2025 के नए नियम जानें: पेमेंट स्पीड लिमिट, बैलेंस चेक सुविधा और ऑटोपे में बड़े बदलाव। जानिए कैसे प्रभावित होंगे आपके डिजिटल लेनदेन।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के लिए कई नए नियमों की घोषणा की है जो जुलाई 2025 से प्रभावी होंगे। ये बदलाव डिजिटल भुगतान प्रणाली को और सुरक्षित, सुविधाजनक और कुशल बनाने के उद्देश्य से लाए गए हैं।
UPI में आए बड़े बदलाव
नए नियमों में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव है पेमेंट प्रोसेसिंग स्पीड पर लगाई गई सीमा। अब ₹5,000 से अधिक के ट्रांजैक्शन को तुरंत प्रोसेस नहीं किया जाएगा, बल्कि इसमें 30 मिनट तक का समय लग सकता है। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी वाले लेन-देन को रोकना और उच्च मूल्य के ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त सुरक्षा परत जोड़ना है।
NPCI के प्रवक्ता ने बताया, "ये बदलाव यूजर सुरक्षा को ध्यान में रखकर किए गए हैं। पेमेंट स्पीड में थोड़ी कमी से धोखाधड़ी के प्रयासों को रोकने में मदद मिलेगी, खासकर बड़े ट्रांजैक्शन में।"
बैलेंस चेक की नई सुविधा
नए नियमों के तहत यूजर्स अब बिना UPI ऐप खोले अपना बैंक बैलेंस चेक कर सकेंगे। इसके लिए एक नई *99*101# सर्विस शुरू की गई है। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए यूजर्स को अपने मोबाइल नंबर से इस कोड को डायल करना होगा, जिसके बाद उन्हें तुरंत अपने अकाउंट बैलेंस की जानकारी एसएमएस के माध्यम से मिल जाएगी।
ऑटोपे में सुधार
रिकरिंग पेमेंट्स (ऑटोपे) के लिए सब्सक्रिप्शन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। अब यूजर्स एक ही क्लिक में किसी भी सर्विस के लिए ऑटोपे सक्षम कर सकते हैं, जिसमें अधिकतम सीमा और भुगतान आवृत्ति पहले से परिभाषित होगी।
सुरक्षा उन्नयन
₹10,000 से अधिक के ट्रांजैक्शन के लिए दो-कारक प्रमाणीकरण अनिवार्य किया गया है। साथ ही, यूजर्स अब अपने UPI ऐप में 'ट्रांजैक्शन स्पीड' सेटिंग्स को कस्टमाइज़ कर सकते हैं, जिससे वे अलग-अलग राशियों के लिए अलग-अलग वेरिफिकेशन लेवल सेट कर सकते हैं।
लेन-देन सीमा में बदलाव
व्यक्तिगत UPI यूजर्स के लिए प्रतिदिन की लेन-देन सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.5 लाख कर दी गई है, जबकि व्यवसायिक खातों के लिए यह सीमा ₹2.5 लाख प्रतिदिन निर्धारित की गई है। इससे उच्च मूल्य के लेनदेन करने वाले यूजर्स को राहत मिलेगी।
यूजर्स पर प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, ये बदलाव आम उपयोगकर्ताओं के लिए मिश्रित प्रभाव लेकर आए हैं। एक ओर जहां बैलेंस चेक जैसी नई सुविधाएं और बढ़ी हुई ट्रांजैक्शन लिमिट यूजर्स के लिए फायदेमंद हैं, वहीं पेमेंट स्पीड पर लगी सीमा से तात्कालिक उच्च मूल्य के लेनदेन में कुछ असुविधा हो सकती है।
फिनटेक विश्लेषक डॉ. प्रिया शर्मा का कहना है, "ये बदलाव डिजिटल भुगतान प्रणाली की परिपक्वता को दर्शाते हैं। सुरक्षा और सुविधा के बीच संतुलन बनाना RBI की प्राथमिकता रही है। शुरुआती समायोजन के बाद यूजर्स को इन बदलावों के फायदे नजर आने लगेंगे।"
कैसे करें तैयारी?
UPI यूजर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने बैंक और UPI ऐप्स को नवीनतम संस्करण में अपडेट कर लें। अधिकांश बैंक और भुगतान ऐप प्रदाता जुलाई 2025 तक अपने सिस्टम को नए नियमों के अनुरूप अपडेट कर देंगे।
यूजर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने UPI ऐप की सेटिंग्स में जाकर नई सुरक्षा विकल्पों की समीक्षा करें और अपनी आवश्यकतानुसार ट्रांजैक्शन स्पीड प्राथमिकताएं सेट करें।
UPI 2025 के ये नए नियम डिजिटल भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। जहां एक ओर ये बदलाव सुरक्षा चिंताओं का समाधान करते हैं, वहीं उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम हैं। इन नियमों के कार्यान्वयन से डिजिटल भुगतान प्रणाली और अधिक मजबूत एवं विश्वसनीय होगी।