उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी: मीडिया कवरेज की उपेक्षा से कई राज्यों में बड़ा झटका, ताजा अपडेट जानिए

उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी ने पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में मचाई भारी तबाही। जानें क्यों मीडिया कवरेज में कमी बनी बड़ी चिंता और क्या हैं ताजा हालात।

Sep 2, 2025 - 18:42
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उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी: मीडिया कवरेज की उपेक्षा से कई राज्यों में बड़ा झटका, ताजा अपडेट जानिए
उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी से प्रभावित क्षेत्र की तस्वीर, जिसमें पानी में डूबे खेत और टूटी सड़कें दिखाई दे रही हैं।

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat Date: | 02 Sep 2025 


उत्तर भारत में बाढ़ की विकराल त्रासदी: एक अनदेखी सच्चाई

उत्तर भारत के कई राज्यों में इन दिनों बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है, जिससे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भारी तबाही मची है। हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, सैकड़ों जानें जा चुकी हैं और बुनियादी ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी के बावजूद, देश का मुख्यधारा मीडिया इसकी कवरेज को लेकर उदासीन बना हुआ है। जनता की शिकायत है कि मीडिया का कवरेज या तो बहुत कम है या नगण्य है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति और उनके दर्द को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि आपदा के कारणों और उसके प्रभावों पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है जो फिलहाल गायब दिख रही है।

इस अभूतपूर्व आपदा के पीछे की वजह विकास की विनाशकारी नीतियां बताई जा रही हैं, जहाँ पहाड़ों और नदियों को ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया है। नदियों की धाराओं के बीच बने होटल बह गए, उनके किनारे बने मकान गिर गए, और बादल फटने व भूस्खलन की घटनाओं में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में असामान्य रूप से भारी बारिश हुई है; उदाहरण के लिए, 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच पंजाब में औसत से 114% अधिक बारिश दर्ज की गई, जबकि हिमाचल प्रदेश में 667% अधिक बारिश हुई। इन आंकड़ों से पता चलता है कि यह केवल सामान्य मौसमी घटना नहीं है, बल्कि प्रकृति के धीरज का जवाब देते हुए एक गंभीर चेतावनी है, जिसे हमें अनदेखा नहीं करना चाहिए।

उत्तर भारत में बाढ़ की विकराल त्रासदी: एक अनदेखी सच्चाई

पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में इस बार की बाढ़ ने चार दशकों में सबसे भयानक तबाही मचाई है। पंजाब में 29 लोगों की जान जाने की सूचना है और 23 में से 12 जिलों के 104 गांवों में बाढ़ का असर है, जिससे 2.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। अमृतसर, बरनाला, फाजिलका, फिरोजपुर, गुरुदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, मानसा, मोगा, पठानकोट और एसएस नगर जैसे जिले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। खेतों में 5 से 10 फीट तक पानी खड़ा है, और 32 लाख हेक्टेयर से अधिक धान की बुवाई वाली भूमि में से 1.25 लाख हेक्टेयर से अधिक हिस्सा तीन हफ्तों से पानी में डूबा हुआ है। धान की फसल का 48 घंटे से अधिक पानी में डूबे रहना उसकी बर्बादी का कारण बन जाता है, क्योंकि पौधे को ऑक्सीजन नहीं मिलती। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने किसानों को प्रति एकड़ 5,000 रुपये का मुआवजा देने की बात कही है और केंद्र से पंजाब के हिस्से के 60 हजार करोड़ के फंड जारी करने की मांग की है। हालांकि, पंजाब सरकार पर आरोप भी लग रहे हैं कि उसने अभी तक किसानों के लिए फसल बीमा योजना शुरू नहीं की है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य के अनुकूल नहीं बताया गया था। रावी नदी पर बने माधोपुर बराज के गेट टूटने से भी बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई, जिसमें एक जल विभाग के कर्मचारी की मौत हो गई और निजी कंपनी पर लापरवाही का आरोप है।

हिमाचल प्रदेश में भी उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी का भयावह रूप देखने को मिला है। 20 जून से अब तक 327 लोगों की मौत हो चुकी है, 385 लोग घायल हुए हैं, 850 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, और 3,000 से अधिक घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। राज्य में 45 बादल फटने की घटनाएं, 115 भूस्खलन और 95 फ्लैश फ्लड की घटनाएं दर्ज की गई हैं। छह नेशनल हाईवे क्षतिग्रस्त और ब्लॉक हो चुके हैं, और 1,300 से अधिक सड़कें बंद हैं, जिससे आवाजाही और जरूरी सामान की आपूर्ति में भारी दिक्कतें आ रही हैं। कुल्लू और शिमला जिलों में निर्माण पर रोक के बावजूद अवैध निर्माण जारी है, जिससे आपदा का खतरा और बढ़ रहा है। जम्मू-कश्मीर भी इस मानसून से अछूता नहीं रहा है, जहां 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। किश्तवाड़ के चासोटी गांव में बादल फटने से 65 लोगों की मौत हुई, जबकि कठुआ में फ्लैश फ्लड में 7 लोग, जिनमें 5 बच्चे थे, मारे गए। वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन से भी 34 से अधिक लोगों की जान चली गई, और तीर्थ बोर्ड पर मौसम संबंधी चेतावनियों को नजरअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं।

पंजाब में फसलों की बर्बादी और सरकारी उपेक्षा

पंजाब में हालिया बाढ़ ने कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुँचाया है, जिससे किसान एक बड़ी उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी झेल रहे हैं। रावी, ब्यास और सतलुज के आसपास के इलाकों में फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं, खेतों में 5 से 10 फीट तक पानी भरा हुआ है। धान की फसल, जिसकी बुवाई इस बार 32 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन पर हुई थी, उसमें से 1.25 लाख हेक्टेयर से अधिक हिस्सा तीन हफ्तों से पानी में डूबा है। धान के पौधे को ऑक्सीजन न मिलने से उसके बचने की उम्मीद कम हो जाती है, जिससे किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने किसानों को 5,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने का प्रयास करने की बात कही है और केंद्र सरकार से पंजाब के हिस्से के 60 हजार करोड़ रुपये जारी करने की मांग की है। हालांकि, पंजाब सरकार की फसल बीमा योजना शुरू न करने को लेकर आलोचना भी हो रही है, जबकि ढाई साल पहले इसकी घोषणा की गई थी।

हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा का कहर

हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी ने जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान किया है। हिमाचल में 327 लोग मारे गए और 385 घायल हुए हैं, जबकि 850 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं। 45 बादल फटने और 115 भूस्खलन की घटनाओं के साथ 95 फ्लैश फ्लड ने राज्य के बुनियादी ढांचे को बुरी तरह प्रभावित किया है। 1300 सड़कें बंद हैं और छह नेशनल हाईवे क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे आवाजाही ठप पड़ गई है। जम्मू-कश्मीर में 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिसमें किश्तवाड़ और कठुआ में बादल फटने और फ्लैश फ्लड की घटनाएं शामिल हैं। वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन से हुई मौतों ने प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, और जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।

विकास की विनाशकारी नीतियां बनीं बाढ़ का कारण

रविश कुमार के अनुसार, उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी के पीछे मुख्य रूप से विकास की विनाशकारी नीतियां जिम्मेदार हैं। पहाड़ों को काटकर पर्यटन के नाम पर विकास किया जा रहा है और नदियों के किनारों व धाराओं के बीच में रिसॉर्ट और भवन बनाए जा रहे हैं। नियमों का जमकर उल्लंघन हो रहा है, जिससे प्रकृति का धीरज जवाब दे रहा है। उदाहरण के लिए, कुल्लू और शिमला में निर्माण पर रोक के बावजूद यह जारी है। नेताओं, अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से रेत और खनन माफिया बेखौफ होकर नदियों और पहाड़ों को बर्बाद कर रहे हैं। यह सब सीधे तौर पर भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड जैसी घटनाओं में वृद्धि का कारण बन रहा है, जैसा कि उत्तराखंड के धराली और हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में देखा गया है।

मीडिया कवरेज की कमी और जनता की शिकायतें

इस भयंकर उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी के बीच, मीडिया कवरेज की कमी एक गंभीर मुद्दा बनकर उभरी है। पंजाब के लोगों की शिकायत है कि देश उन्हें भूल गया है और मीडिया उनकी त्रासदी को कवर नहीं कर रहा है। हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की भी यही शिकायतें हैं। रविश कुमार ने 2008 की कोसी बाढ़ का उदाहरण दिया, जब एक अंग्रेजी अखबार की खबर के बाद मीडिया ने व्यापक कवरेज दी और राहत कार्य में भी जुटा, लेकिन अब दिल्ली के नजदीक होने के बावजूद पंजाब को उतनी कवरेज नहीं मिल रही। गोदी मीडिया पर आरोप है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के 'विश्वगुरु' वाले प्रोपेगेंडा और फर्जी फोटो कवरेज में व्यस्त है, जबकि जनता की समस्याओं और आपदाओं की रिपोर्टिंग शून्य है, बावजूद इसके कि उन्हें सैकड़ों करोड़ के विज्ञापन मिलते हैं। स्वतंत्र पत्रकार जैसे हृदेश जोशी, जो पर्यावरण और आपदा के मुद्दों पर गहरा कवरेज देते हैं, को मुख्यधारा मीडिया में जगह नहीं मिलती।

आगे क्या? आपदा प्रबंधन और जवाबदेही की मांग

उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आगे क्या? हमें विकास की इन विनाशकारी नीतियों पर तुरंत रोक लगानी होगी और नदियों के किनारे बने अवैध निर्माणों की पहचान कर उन्हें हटाना होगा। नेताओं, अफसरों और ठेकेदारों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करने और मौसम संबंधी चेतावनियों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। जनता को भी अब इन सवालों को लेकर आगे आना होगा और आपदा के कारणों को समझने तथा बदलाव की मांग करने के लिए जागरूक होना होगा। जब तक हम अपनी आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक यह चक्र चलता रहेगा और हर साल हमें ऐसी त्रासदियों का सामना करना पड़ेगा।


FAQs

Q1: उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी से कौन से राज्य सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं? A1: इस उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी से पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। इन क्षेत्रों में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ है, जिससे हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

Q2: पंजाब में बाढ़ से हुए मुख्य नुकसान क्या हैं? A2: पंजाब में उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी से 29 लोगों की मौत, 2.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित और 12 जिलों में 104 गांवों में असर हुआ है। 1.25 लाख हेक्टेयर से अधिक धान की फसल पानी में डूबने से बर्बाद हो गई है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति हुई है।

Q3: हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन की कितनी घटनाएं दर्ज की गईं? A3: हिमाचल प्रदेश में उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी के दौरान 45 बादल फटने की घटनाएं, 115 भूस्खलन और 95 फ्लैश फ्लड की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। इन घटनाओं से 327 लोगों की मौत और व्यापक बुनियादी ढांचे का नुकसान हुआ है।

Q4: मीडिया कवरेज को लेकर क्या शिकायतें सामने आई हैं? A4: उत्तर भारत बाढ़ त्रासदी को लेकर मीडिया कवरेज की भारी कमी की शिकायतें सामने आई हैं। आरोप है कि मुख्यधारा मीडिया इस विकराल आपदा को पर्याप्त महत्व नहीं दे रहा है और इसके बजाय अन्य राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

Q5: इन आपदाओं के पीछे मुख्य कारण क्या बताए जा रहे हैं? A5: इन आपदाओं के पीछे मुख्य कारण विकास की विनाशकारी नीतियां बताई जा रही हैं। पहाड़ों को काटकर पर्यटन के लिए निर्माण, नदियों के किनारे अवैध अतिक्रमण, और ठेकेदारों व राजनेताओं की मिलीभगत से नियमों का उल्लंघन जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

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